डिजिटल कैमरा ….. – भाग २

पिछले भाग से आगे …..

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पिछले भाग में मैंने सुझाव दिया था कि आपको डिजिटल कैमरा किसलिए चाहिए उन कारणों की सूचि बना लें, आगे कैमरे का चुनाव करने में भी सहायक होगी। तो उस सूचि से अब उन कारणों को लेकर एक नई सूचि बनाएँ जिसमें हो कि आपको कैमरे में क्या-२ चाहिए या आप कैमरे का प्रयोग कैसे करेंगे। उदाहरणार्थ, आप अधिकतर किस तरह की फोटोग्राफी करेंगे; पोर्ट्रेट(portrait) लेंगे या लैन्डस्केप(landscape), खेलों(sports) आदि की फोटो लेंगे या मैक्रो(macro) लेंगे, या फिर इस बारे में अनिश्चित हैं और सभी प्रकार की फोटोग्राफी करेंगे? क्या आप प्रोफेशनल फोटोग्राफर हैं/बनना चाहते हैं? या सिर्फ़ शौकिया फोटोग्राफी करेंगे? क्या आप सिर्फ़ कुछ अवसरों(घर आदि में किसी पार्टी फंक्शन या कहीं सैर-सपाटे पर गए) पर ही तस्वीरें लेना चाहेंगे या फोटोग्राफी की कला को सीखना चाहेंगे? क्या आपके लिए कैमरे का आकार और वज़न अधिक मायने रखता है; क्या आपको छोटा और हल्का कैमरा चाहिए या आप अच्छे फीचर(features) वाले बड़े कैमरे को लेना पसंद करेंगे? क्या आपको कैमरों और फोटोग्राफी का कोई पूर्व अनुभव है? यदि अनुभव है तो कितना है? आप कैमरे में किन खास फीचर्स(features) को चाहेंगे? और सबसे महत्वपूर्ण, आपका बजट कितना है?

इन सब के बारे में विचार करें, यदि किसी अच्छे से कैमरे की दुकान में जाते हैं(पड़ोस की छोटी इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान में नहीं जिसने 2-3 चलतऊ चीनी कैमरे रखे हुए हैं) तो वहाँ भी सेल्समैन आपसे कुछ इसी तरह के प्रश्न कर सकता है, यदि आप उससे राय लेंगे कि कौन सा कैमरा लिया जाए। लेकिन उसकी राय केवल और केवल एक सुझाव के तौर पर ही लें, उस पर पूर्ण विश्वास कर उसके द्वारा सुझाया कैमरा न लें ले क्योंकि (जैसा मैंने अधिकतर देखा है)वह आपको सबसे महँगा कैमरा टिकाने का प्रयास करेगा, कोई आवश्यक भी नहीं कि उसे कुछ खास पता हो इन चीज़ों के बारे में।

बेहतर विकल्पों और सुझावों के लिए ऑनलाईन कैमरा रिव्यू वेबसाइटों पर सर्च करें। डीपीरिव्यू.कॉम कैमरों के बारे में जानने के लिए एक अति उत्तम वेबसाइट है, मैं भी इसकी सलाह पर अधिक भरोसा करता हूँ। इस तरह कुछ और वेबसाइटें भी मिल जाएँगी आपको जहाँ आप अपने बजट और फीचर की आवश्यकता अनुसार कैमरे देख सकते हैं। भारत में रहने वाले बंधुओं को व्यक्तिगत तौर पर सुझाव दूँगा कि यहाँ छपने वाली तकनीकी पत्रिकाओं में यदा-कदा छपने वाले कैमरा रिव्यू आदि को कोई भाव न दें, उनमें सुझाव इतने बेतुके होते हैं कि साफ़ दिखता है कि सारा मामला प्रायोजित है!! भारत में फिलहाल फोटोग्राफी संबन्धी कोई खास पत्रिकाएँ नहीं हैं, लेकिन योरोप और अमेरिका आदि में कुछेक अच्छी पत्रिकाएँ छपती हैं इस विषय पर भी। यहाँ भारत में जो एकाध फोटोग्राफी संबन्धी पत्रिकाएँ निकलती हैं उनमें बेहतर फोटोग्राफी करने संबन्धी तो कदाचित्‌ कुछ अच्छे सुझाव मिल जाएँ लेकिन कैमरा लेने संबन्धी अच्छे सुझावों की अपेक्षा न ही करें तो बेहतर है, क्योंकि जितना मैंने देखा है, उनमे रिव्यू(review) करने वाले या तो सालों पुराने मॉडल को नया समझते हैं(क्योंकि भारत में वह हाल ही में आया होता है) या मेगापिक्सल(megapixel) के पीछे भाग रहे होते हैं!!

मेगापिक्सल सब कुछ नहीं है, इसलिए उसके पीछे मत भागिए!! कैमरा निर्माता भी वही कर रहे हैं आजकल जो पर्सनल कंप्यूटर निर्माता(personal computer) करते आए हैं। जिस तरह पर्सनल कंप्यूटर निर्माता अपने टीवी/प्रिंट आदि विज्ञापनों में सिर्फ़ प्रोसेसर और एलसीडी स्क्रीन(LCD Screen) आदि के बारे में ही बताते हैं और अंदर दूसरे महत्वपूर्ण पुर्ज़ों(parts/components) में खेल खेल जाते हैं, उसी प्रकार कैमरा निर्माता भी आजकल सिर्फ़ मेगापिक्सल का खेल खेल रहे हैं, नए वर्ज़न/अपडेट में मेगापिक्सल बढ़ाओ और कैमरा बेचो। अज्ञानी जनता भी इस मेगापिक्सल के झांसे में आ जाती है यह जाने बिना कि मेगापिक्सल सब कुछ नहीं होता!!

मेरे सबसे बड़े ममेरे भाई, जो कि अभी बारहवीं कक्षा में पढ़ रहा है, को गैजेट्स(gadgets) में बड़ी रूचि है ,इधर उधर से अपने अज्ञानी मित्रों से प्राप्त जानकारियाँ आदि मुझे बताता रहता है; मैं भी बड़े मज़े से सुनता हूँ क्योंकि कई बार किसी चीज़ के बाज़ार में आने की जानकारी मुझे ऐसे ही मिलती है, बाकी जानकारी बेशक गलत हो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि सही जानकारी प्राप्त करने के मेरे पास उससे अधिक साधन हैं!! 😉 तो ऐसे ही एक बार उसको किसी ने डिजिटल कैमरों और मेगापिक्सल के बारे में बताया होगा कि जितना गुड़ उतना ही मीठा, तो तब से वो यह अवधारणा लेकर बैठ गया है कि मेगापिक्सल जितने अधिक हों उतना ही बढ़िया कैमरा!! जब 2 मेगापिक्सल वाले कैमरा फोन आए तो भजने लगा कि बहुत बढ़िया हैं, जब मैंने नोकिआ एन70(Nokia N70) म्यूज़िक एडिशन फोन लिया जिसमें 2 मेगापिक्सल वाला कैमरा है तो मेरे को शाबासी सी दी कि अब ढंग का कैमरा फोन लिया है, कुछ दिन बाद चहक के मुझे बता रहा था कि फलां फोन आया है 5 मेगापिक्सल वाले कैमरा के साथ तो उसको लेने वाले को डिजिटल कैमरे की तो कोई आवश्यकता ही नहीं होगी!! मैंने उसको समझाया कि कैमरा फोन अपनी जगह है और पूर्ण कैमरा अपनी जगह, दोनों में बहुत अंतर होता है। मेगापिक्सल से कुछ नहीं होता, अधिक मेगापिक्सल वाले सस्ते चीनी कैमरे(1000 से 4000 रूपए के बीच) भी मिल जाते हैं बाज़ार में लेकिन उनकी गुणवत्ता उनसे कम मेगापिक्सल वाले दूसरे स्थापित ब्रांड के कैमरे के सामने कहीं नहीं होती!! स्थापित ब्रांड वाले कैमरे को छोड़िए, मैंने तो उन सस्ते जुगाड़ों की गुणवत्ता अपने नोकिआ एन70(Nokia N70) के आगे भी टिकती नहीं देखी!!

मेगापिक्सल सिर्फ़ फोटो के रेज़ोल्यूशन(resolution) से संबन्ध रखता है, कि फोटो का आकार कितना बड़ा है और उसमें कितनी डिटेल/गहराई(depth) है। आम शब्दों में कहें तो ज़्यादा मेगापिक्सल का लाभ तभी है जब आपने प्रिंट निकालने हों, यदि कंप्यूटर पर ही फोटो रखने हैं तो कोई खास लाभ नहीं। प्रिंट भी यदि 4×6 या 8×12 तक के निकालने हैं तो 5-6 मेगापिक्सल पर ली फोटो काफी है, 10 मेगापिक्सल पर लेने से कोई अधिक अच्छी नहीं आ जाएगी। तो इसलिए मेगापिक्सल के अतिरिक्त भी कैमरे में कुछ होना चाहिए!!

ऑप्टिकल ज़ूम (optical zoom) किसी भी कैमरे का मेरे अनुसार अति महत्वपूर्ण पहलू होता है। अधिकतर डिजिटल कैमरों में दो तरह का ज़ूम(zoom) होता है, ऑप्टिकल ज़ूम और डिजिटल ज़ूम(digital zoom)। इन दोनों में डिजिटल ज़ूम पर ध्यान न ही दें तो बेहतर है क्योंकि डिजिटल ज़ूम और कुछ नहीं करता सिर्फ़ आपकी फोटो को डिजिटली बड़ा कर देता है(यानि कि जैसे रबड़ को खींच दिया हो) जिससे फोटो फट सी जाती है, जबकि ऑप्टिकल ज़ूम असल ज़ूम होता है जो कि लेन्स(lens) को पोज़ीशन कर प्राप्त किया जाता है और जिससे फोटो की क्वालिटी में कोई अंतर नहीं आता। कुछ कैमरा निर्माता(प्रायः निचले दर्जे के) आपको एक ही ज़ूम का आंकड़ा बताएँगे; कि कैमरे में 12x का ज़ूम है, जिसका अर्थ यह भी हो सकता है कि उसमें 3x का ऑप्टिकल ज़ूम है और 4x का डिजिटल ज़ूम – 3 गुणा 4 हुआ 12। अब इसमें आपके लिए 3x का ही ज़ूम काम का है, बाकी बेकार है। सस्ते कैमरे में अधिक ऑप्टिकल ज़ूम नहीं मिलता, क्योंकि अधिक ऑप्टिकल ज़ूम के लिए लेन्स की गुणवत्ता अधिक होनी चाहिए जिस कारण लेन्स की कीमत बढ़ जाती है और नतीजन कैमरे की कीमत बढ़ती है। इसलिए कैमरा लेते समय यह देखें कि उसका ऑप्टिकल ज़ूम कितना है, 3x का ऑप्टिकल ज़ूम आजकल सामान्य है और न्यूनतम अपेक्षा होती है, इससे कम वाले कैमरे को नज़रअंदाज़ करना ही बेहतर होगा आपके लिए।

अगले भाग में जारी …..

15 responses to “डिजिटल कैमरा ….. – भाग २

  1. मेगापिक्सेल के बारे में आपने सही कहा। मैंने अपने २ मेगापिक्सेल वाले कैमरे से बहुत तस्वीरें ली हैं और वे काफ़ी अच्छी हैं। बस कैमरे में ऑप्टिकल ज़ूम नहीं है अतः एक और कैमरा लिया है।

  2. “ऑप्टिकल ज़ूम (optical zoom) किसी भी कैमरे का मेरे अनुसार अति महत्वपूर्ण पहलू होता है।”

    यह एक बहुत महत्वपूर्ण टिप्पणी है. मेरे http://www.indianphotos.wordpress.com पर अधिकतर छायाचित्र सिर्फ 1.3 मेगापिक्सल से लिये गये है, लेकिन चित्रों का स्तर बहुत अच्छा है. इसका एक रहस्य है. केमरा में 16x ऑप्टिकल ज़ूम है — शास्त्री जे सी फिलिप

    हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
    http://www.Sarathi.info

  3. कैमरे के अच्छे सर्विस केन्द्रों तथा अच्छे इंजीनियरों की नाम व पतों की सूची अगर दे सकें तो बहुत उपयोगी होगा।

  4. धन्यवाद विपुल जी।

    आलोक जी, बात ये है कि लोगों में जो मेगापिक्सल की अवधारणा कैमरा कंपनियों ने बिठाई है वो जल्दी नहीं जाने वाली।

    अधिकतर छायाचित्र सिर्फ 1.3 मेगापिक्सल से लिये गये है, लेकिन चित्रों का स्तर बहुत अच्छा है. इसका एक रहस्य है. केमरा में 16x ऑप्टिकल ज़ूम है

    शास्त्री जी, कृपया अपने कैमरे के निर्माता और कैमरे का मॉडल नंबर बताएँगे? मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि 1.3 मेगापिक्सल कैमरे में किसने 16x का ऑप्टिकल ज़ूम दिया क्योंकि 18x के ऑप्टिकल ज़ूम वाला कैमरा तो अभी हाल ही में ओलम्पस ने निकाला है और उससे पहले अधिकतम 12x का ऑप्टिकल ज़ूम होता था(जैसा कि मेरे नए कैमरे में है)। एक ही तरीके से आपके पास इतना अधिक ज़ूम हो सकता है, यदि आपका कैमरा DSLR हो। इसलिए कृपया कैमरे के निर्माता और मॉडल नंबर के बारे में बताईये।

    हरिराम जी, आपका कैमरा किस कंपनी का है? मैं ऐरे-गैरे सर्विस सैन्टरों आदि से दूर रहने की सलाह दूँगा क्योंकि यदि कैमरे को कोई क्षति हो गई तो आपका कैमरा फिर कंपनी वाले भी ठीक नहीं कर पाएँगे। इसलिए कैमरे को सदैव उसकी कंपनी के सर्विस सैन्टर में ही दिखाना चाहिए। अपने कैमरा कंपनी की वेबसाइट खोल उनके सर्विस सैन्टरों के बारे में देखिए और यदि नहीं दे रखा तो उनको ईमेल कर पूछिए। 🙂

  5. कैमरे की क्वालिटी से ज्यादा महत्वपूर्ण है लाईटिंग और एंगल को समझना. मैने जब भी पिक्चर प्रिंट कराई सामने वाला बोला- कैमरा कौन सा है. जब मैने बताया तो उसने हमेशा मानने से इनकार कर दिया.

  6. कैमरे की क्वालिटी से ज्यादा महत्वपूर्ण है लाईटिंग और एंगल को समझना.

    बिलकुल है, लेकिन उसको समझने का लाभ तभी है ना जब पास में कैमरा हो? 😉 और मैं यहाँ पर वही लिख रहा हूँ, कि कैमरा कैसे पसंद किया जाए। 🙂

  7. शुक्रिया अमित , मेगापिक्सल के गोरखधंधे से निकाल कर आप्टिक्ल जूम के बारे मे आप ने जानकारी दी , यह DSLR कैमरा क्या है ?

  8. यह DSLR कैमरा क्या है

    अंग्रेज़ी में यहाँ पढ़ें

  9. अच्छी जानकारीयुक्त संकल्नीय पोस्ट. बधाई.

  10. धन्यवाद समीर जी।

  11. super post sir ji, gud that u have mentioned abt the megapixel myth. that review site looks gud, thnx for the link. and how much optical zoom is ok?

  12. and how much optical zoom is ok?

    अक्स, कितना ऑप्टिकल ज़ूम लेना है यह आप पर निर्भर करता है। आपने किस तरह कि फोटोग्राफ़ी करनी है उस पर तो निर्भर करता ही है, आपकी जेब पर भी निर्भर करता है। जैसे यदि आम फोटोग्राफ़ी करनी है और आप घूमने फिरने जाते हैं तो सामान्यतः 3x का ज़ूम काफ़ी रहता है। आजकल 5x-6x ज़ूम वाले कैमरे भी सस्ते हो गए हैं। तो यदि कितना ज़ूम होता है इसका अंदाज़ा नहीं है तो किसी भी कैमरे की बड़ी दुकान में जाकर दो-तीन अलग-२ ज़ूम वाले कैमरे चला के देख लो। खरीदना कोई आवश्यक नहीं है, वहाँ सिर्फ़ देख के भी आ सकते हो। तो उन कैमरों को ट्राई करने से अंदाज़ा हो जाएगा कि 3x में कितना ज़ूम मिल रहा है और 6x में कितना, फिर उसके बाद अपने हिसाब से निर्णय कर सकते हो कि कितने ज़ूम वाला कैमरा लेना है।

  13. मिश्रा जी थोड़ा खुलकर कहिए क्या कहना चाहते हैं, मैं समझा नहीं!

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